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बंदरों से अपनी फसल को बचाने के लिए किसान बना भालू

बंदरों से अपनी फसल को बचाने के लिए किसान बना भालू

किसान की फसल को बहुत सारी आपदाएं प्रभावित करती है। कभी बारिश तो कभी सूखा परंतु आवारा पशु भी किसानों की कड़ी मेहनत से उगाई गई फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। फसलों को पशुओं से बचाने के लिए किसान भिन्न भिन्न प्रकार के उपाय करते हैं। कुछ किसान अपने खेतों पर तारबंदी करते हैं तो कुछ किसान दिन रात खेतों पर पड़े रहते हैं। तेलंगाना के एक किसान भास्कर रेड्डी ने भी ऐसे ही अपनी फसल को बंदरों एवं जंगली सूअरों से बचाने के लिए अद्भुत उपाय आजमाया है। बतादें, कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में किसान को भालू की पोशाक पहन कर बंदरों से अपनी फसल का बचाव करते हुए देखा जा रहा है। जैसा कि हम जानते हैं, कि भारत के अधिकांश गांव में सामान्य तौर पर देखा गया है, कि जंगली जानवरों के कारण सर्वाधिक हानि किसानों को वहन करनी पड़ती है। इनमें सर्वाधिक बंदर एवं जंगली सूअर फसलों को क्षतिग्रस्त करते नजर आते हैं। जिसकी वजह से किसानों को प्रतिवर्ष फसलों में काफी ज्यादा हानि का सामना करना पड़ता है। फिलहाल, कुछ किसान जंगली जानवरों के कहर से बचने के लिए आम उपाय करते दिखाई दे रहे हैं।

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लुटेरों के आतंक से परेशान किसान, डर के मारे छोड़ी चना और मसूर की खेती वर्तमान में दक्षिण भारतीय एक किसान भास्कर रेड्डी ने अपनी फसल को बंदरों एवं जंगली सूअरों के आतंक को समाप्त करने के लिए एक देसी नुस्खा आजमाया है, जिसका उसे सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। भारत भर के बाकी किसान भी इससे सीख लेकर खेती में अपनी हानि को कम कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर किसान के देसी जुगाड़ की तस्वीर बड़ी तीव्रता से वायरल हो रही है। जानकारी के लिए बतादें, कि मीडिया एजेंसी एएनआई के मुताबिक तेलंगाना के एक किसान भास्कर रेड्डी ने अपनी फसल बचाव के लिए एक कदम आगे बढ़कर एक भालू की पोशाक को धारण कर अपने खेतों को बंदरों एवं जंगली सूअर से बचाने का अचूक उपाय खोज निकाला है। किसान भास्कर रेड्डी के मुताबिक, उन्होंने जंगली सूअर एवं बंदरों के आतंक से बचने के लिए यह अनोखा तरीका आजमाया है, जो कि फसल कटाई से पूर्व ही उसकी फसल को हानि पहुंचाते देखे जाते थे। किसान ने बताया है, कि खेतों की फसल के बचाव के लिए वह और उनका बेटा बारी-बारी से पोशाक पहनकर खेतों में जाते हैं। जिससे की जंगली सूअर एवं बंदरों से खेतों को बचाया जा सके। वर्तमान में उन्होंने इस कार्य के लिए 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से एक शख्स को रखा है। किसान के मुताबिक, उन्होंने यह पोशाक हैदराबाद में कॉस्ट्यूम सप्लाई वेंडर से ली थी, जो कि थिएटर ग्रुप के लिए कपड़े बनाता है, जिसे उन्होंने 10,000 रुपये में खरीदा था।
नीलगाय और जंगली सूअर को फसल से दूर रखने का क्या उपाय है ?

नीलगाय और जंगली सूअर को फसल से दूर रखने का क्या उपाय है ?

किसानों की फसलों को बहुत सारी प्राकृतिक आपदाऐं गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त करती हैं। कभी अप्रत्याशित बारिश तो कभी आंधी- तूफान और आजकल तो निराश्रित पशुओं का खेतों में झुंड नजर आता है। 

अब भारत के सभी हिस्सों में नीलगायों का आतंक प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। नीलगाय अब पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ मैदानी इलाकों में भी लहलहाती फसलों को बर्बाद कर रही हैं। 

किसानों की इस परेशानी को मंदेनजर रखते हुए क्लियर जोन ने क्लियर जोन रिप्लांटो वन जीरो नाइन टू नाम के एक रामबाण उत्पाद को तैयार किया है। इसका एक बार उपयोग करने से नीलगाय और सुअर जैसे जंगली जानवर 15-30 दिन तक खेतों के आस-पास तक नहीं भटकते हैं। 

बतादें, कि यह प्रोडक्ट खेत में नीलगाय और जंगली जानवरों को खेत में प्रवेश नहीं करने में सहयोग करता है। आज हम इस लेख में जानेंगे इस खास उत्पाद के विषय में जिससे किसान भाइयों को इसका उपयोग करने से मदद मिल सके।   

नीलगाय और सुअर को खेत से दूर भगाने में मददगार उत्पाद 

एग्रीकल्चर एग्जिबिशन में आए क्लियर जोन में 8-9 साल तक काम करने वाले कौशल पटेल ने मीडिया को बताया कि वह बीते 4 सालों से इस समस्या पर अध्ययन और शोध कर क्लियर जोन रिप्लांटो वन जीरो नाइन टू जैसे एक ऐसे प्रोडक्ट को बनाए हैं।

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जिसको एक बार खेत में छिड़कने से 15-30 दिन तक नीलगाय और सुअर जैसे जंगली जानवर खेत में पांव तक नहीं रखते। इस प्रोडक्ट की सबसे अच्छी बात ये है, कि इस प्रोडक्ट में कोई भी केमिकल या जहर का इस्तेमाल नहीं किया गया है। नेचुरल प्रोडक्ट को प्रोसेस कर यूएस और जर्मनी के टेक्नोलॉजी का यूज कर इंडियन कल्चर के लिए बनाया गया है।

खेत में किस प्रकार करें उत्पाद का इस्तेमाल 

मिट्टी पर इस उत्पाद को डालने के बाद सुअर खेत में नहीं आते। वहीं, फसलों पर इस उत्पाद का छिड़काव करने से नीलगाय खेत के पास नहीं आते हैं। क्योंकि ये प्रोडक्ट साइकोलॉजी पर काम करता है। 

इसके अतिरिक्त मीडिया वार्ता के दौरान कौशल पटेल ने बताया कि इस प्रोडक्ट का दाम प्रति बीघा 150 रुपए है। इस वजह से इसका इस्तेमाल करने से किसानों के जेब पर ज्यादा खर्च नहीं पड़ेगा। नीलगाय और सुअर के अतिरिक्त क्लियर जोन अभी बंदरों को भगाने वाले प्रोडक्ट पर शोध कर रही है।